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शास्त्रों के अनुसार ऐसी होनी चाहिए आपके दिन की शुरुआत, ये है विधान

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प्रातः जागरण से स्नान पूर्व के कर्म इन मंत्रों के साथ दिनचर्या की करिए शुरुआत शास्त्रों में विधि-विधान पूर्वक बताया गया है कि मनुष्य को सुबह किस समय उठना चाहिए। कैसे अपनी दिनचर्या शुरू करनी चाहिए। किन मंत्रों के साथ दैनिक कार्यों का निष्पादन करना चाहिए। इस पोस्ट में हम आपको सुबह उठने से लेकर स्नान से पूर्व तक के कर्मों के बारे में बताएंगे। साथ इन कर्मों को करते समय किन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए, इसकी जानकारी भी आपको मिलेगी।  ब्रह्म मुहूर्त में जगने का प्रावधान-  शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य को सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पूर्व उठ जाना चाहिए। इस बेला को ब्रह्म मुहूर्त भी कहा जाता है। कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करती है। कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में जो शयन करता है उसे पादकृच्छ् नामक व्रत करके प्रायश्चित करना पड़ता है।  ब्राह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी। तां करोति द्विजो मोहात् पादकृच्छे्ण शुद्धयति।। करावलोकन- सुबह उठते ही दोनों हथेलियों को देखते हुए निम्नलिखित श्लोक का पाठ करना चाहिए। कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये

नित्यकर्म से गृहस्थ को मिलती है तीन ऋणों से मुक्ति

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नित्यकर्म से गृहस्थ को मिलती है तीन ऋणों से मुक्ति सनातन धर्म में जन्म लेने वाले मनुष्य पर संसार में आते ही तीन ऋण चढ़ जाते हैं ये तीन ऋण हैं 1. देव ऋण       2. ऋषि ऋण         3. पितृ ऋण  शास्त्रविधि के अनुसार गृहस्थ के नित्यकर्म उसे इन तीनों ऋणों से मुक्त करता है। गृहस्थ के नित्यकर्म का फल कथन इस प्रकार है- अथोच्यते गृहस्थस्य नित्यकर्म यथाविधि।      यत्कृत्वानृण्यमाप्नोति दैवात् पैत्रयाच्च मानुषात्।। आइए जानते हैं कि नित्यक्रम में क्या-क्या विधि शामिल हैं। नित्यकर्म में शारीरिक शुद्धि, संध्यावंदन, तर्पण और देव-पूजन आदि शामिल हैं। शास्त्र में छह कर्म बताए गए हैं और इन्हें प्रतिदिन करना चाहिए।  1. स्नान   2. संध्या  3.जप  4.देव-पूजन  5.बलिवैश्वदेव  6.अतिथि सत्कार सन्धया स्नानं जपश्चैव देवतानां च पूजनम्। वैश्वदेवं तथातिथ्यं षट् कर्माणि दिने दिने।। मनुष्य नित्य इन छह कर्मों का पालन करता है, तो उसे अन्य चीजों की ओर भटकने की जरूरत नहीं है। इन छह कर्मों के पालन से मनुष्य तीनों प्रकार के ऋण से मुक्त हो जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देव ऋण को भ